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दिवाली भारत के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है, जो पूरे देश में बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार पांच दिनों तक चलता है, जिसमें पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरका चतुर्दशी, तीसरे दिन लक्ष्मी पूजा, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भाई दौज मनाया जाता है। दिवाली का इतिहास प्राचीन है, और इसका उल्लेख पुराणों और अन्य हिंदू ग्रंथों में मिलता है। यह त्योहार भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने रावण को हराकर 14 वर्षों का वनवास पूरा किया था। लोगों ने उनकी वापसी की खुशी में दीये जलाए थे, जो आज भी दिवाली के दौरान किया जाता है।

दिवाली की गतिविधियाँ
दिवाली के दौरान कई गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
1.दीये जलाना
2.आतिशबाजी
3.लक्ष्मी पूजा
4.गोवर्धन पूजा
5.भाई दौज
6.धनतेरस
7.नरका चतुर्दशी

दिवाली के महत्व
दिवाली का महत्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार भगवान राम की विजय की याद में मनाया जाता है, और लोगों को बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा देता है। दिवाली के दौरान, लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं, और दीये जलाकर भगवान राम का स्वागत करते हैं। दिवाली के दौरान की जाने वाली पूजा विधि दिवाली के दौरान,लक्ष्मी पूजा की जाती है,जिसमें भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है:
1.स्नान और शुद्धि
2.पूजा सामग्री की तैयारी
3.भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा
4.आरती और भजन

दिवाली के समापन पर भाई दौज का त्योहार मनाया जाता है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं, और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। दिवाली के दौरान की जाने वाली गतिविधियों का महत्व बहुत अधिक है। ये गतिविधियाँ लोगों को एक साथ लाती हैं, और समाज में सद्भावना और एकता को बढ़ावा देती हैं।
दिवाली के दौरान की जाने वाली सुरक्षा उपाय दिवाली के दौरान,कई सुरक्षा उपाय किए जाते हैं,जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
1.आतिशबाजी के दौरान सावधानी बरतना
2.दीयों को सुरक्षित स्थान पर रखना
3.बच्चों

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: दिवाली में दीये जलाने के पीछे कई कारण हैं :

1.भगवान राम का स्वागत: दिवाली में दीये जलाने का मुख्य उद्देश्य भगवान राम का स्वागत करना है, जो 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापस आए थे।
2.बुराई पर अच्छाई की जीत: दीये जलाने से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है।
3.लक्ष्मी का आगमन: दिवाली में दीये जलाने से लक्ष्मी का आगमन होता है, जो सुख-समृद्धि और धन की देवी हैं।
4. घर की सफाई और शुद्धि: दिवाली में दीये जलाने से घर की सफाई और शुद्धि होती है।
5.आत्मा की शुद्धि: दीये जलाने से आत्मा की शुद्धि होती है और मन में सकारात्मक विचारों का प्रवाह होता है।

: दीये जलाने की विधि :
दिवाली में दीये जलाने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:
– दीये जलाने से पहले घर की सफाई करें।
– दीये जलाने के लिए शुद्ध घी या तेल का उपयोग करें।
– दीये जलाने के बाद उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखें।
– दीये जलाने से पहले भगवान राम और लक्ष्मी की पूजा करें।

: दीये जलाने के लाभ :
दिवाली में दीये जलाने के कई लाभ हैं: – घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
– बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है।
– लक्ष्मी का आगमन होता है।
– घर की सफाई और शुद्धि होती है।
– आत्मा की शुद्धि होती है।

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: आतिशबाजी का इतिहास :
आतिशबाजी का इतिहास बहुत पुराना है, जो चीन में 7वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। उस समय, आतिशबाजी का उपयोग युद्ध में किया जाता था, लेकिन बाद में इसका उपयोग त्योहारों और समारोहों में किया जाने लगा।
भारत में आतिशबाजी की परंपरा मुगल बादशाहों के समय से शुरू हुई थी। उन्होंने आतिशबाजी को अपने दरबार में आयोजित किया था, जो एक महत्वपूर्ण समारोह था।

: आतिशबाजी के प्रकार :
आतिशबाजी के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
1.फुलजाड़ी
2.अनार
3.चकरी
4.रॉकेट
5.बम

: आतिशबाजी के नुकसान :
आतिशबाजी के कई नुकसान होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
1.ध्वनि प्रदूषण
2.वायु प्रदूषण
3.आग लगने का खतरा
4.शोर के कारण तनाव

: आतिशबाजी के सुरक्षा उपाय :
आतिशबाजी के लिए सुरक्षा उपाय बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
1.आतिशबाजी को सुरक्षित स्थान पर आयोजित करें।
2.आतिशबाजी के लिए उपयुक्त उपकरणों का उपयोग करें।
3.आतिशबाजी के समय आग बुझाने के उपकरण रखें।
4.आतिशबाजी के समय शोर को कम रखें।

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दिवाली एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो पूरे देश में बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और लोगों को बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा देता है। दिवाली में दीये जलाने का महत्व बहुत अधिक है। यह एक प्राचीन परंपरा है जो दिवाली के त्योहार का एक अभिन्न अंग है। दीये जलाने से भगवान राम का स्वागत होता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है, लक्ष्मी का आगमन होता है, घर की सफाई और शुद्धि होती है, और आत्मा की शुद्धि होती है।

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